हमारे वेद पुराणों में भगवान को मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इसके लिए वैसे तो कई मन्त्रों की रचना की गयी है लेकिन इनमे से 4 मंत्र मुख्य रूप से प्रचलित हैं। ये चार मंत्र इस प्रकार हैं।
पहला मंत्र पुष्पांजलि
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:।।
दूसरा मंत्र पुष्पांजलि
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने। नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे। स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय। महाराजाय नम: ।
तीसरा मंत्र पुष्पांजलि
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात्। पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति।।
चौथा मंत्र पुष्पांजलि
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो। मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति।।
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